Friday, May 10, 2013


तेरे बारे में जब सोचा नहीं था,
मैं तनहा था मगर इतना नहीं था

तेरी तस्वीर से करता था बातें,
मेरे कमरे में आईना नहीं था.

समंदर ने मुझे प्यासा ही रखा,
मैं जब सहेरा में था प्यासा नहीं था.

मनाने रूठने के खेल में हम,
बिछड़ जायेंगे ये सोचा नहीं था.

सुना है बंद कर ली आंखें उसने,
कई रातों से वो सोया नहीं था.



जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया

उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया

सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझ को एक कश्ती बादबानी दे गया

ख़ैर मैं प्यासा रहा पर उस ने इतना तो किया
मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया l

Thursday, May 9, 2013

दिल से ..........



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